लोकपाल ने रजत शर्मा का इस्तीफा किया नामंजूर












नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। डीडीसीए के लोकपाल ने अध्यक्ष रजत शर्मा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है और उन्हें अगली सुनवाई तक अपने पद पर बने रहने को कहा है लेकिन सर्वोच्च परिषद के सदस्य इसके विरोध में खड़े हो गए हैं। शर्मा ने बीते शनिवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था। पेशे से पत्रकार रजत शर्मा ने अपने इस्तीफे में कहा था, “मैंने अपने कार्यकाल के दौरान कई परेशानियों और विरोधों का सामना किया लेकिन फिर भी अपना कर्तव्य निभाने का पूरा प्रयास किया। लेकिन मैं केवल एक लक्ष्य के साथ काम करता रहा कि सदस्यों से किये सभी वादों को पूरा किया जाए और खेल का विकास हमेशा से मेरे लिए सर्वोपरि रहा। लेकिन मुझे मजबूरन इस्तीफा देना पड़ रहा है।”























लाइव हिन्दुस्तान के अनुसार उन्होंने अब डीडीसीए के सदस्यों को लिखे पत्र में कहा,“कुछ सदस्यों ने माननीय लोकपाल से संपर्क किया था, जिन्होंने 17 नवंबर के अपने अंतरिम आदेश में मेरे इस्तीफे को फिलहाल रोक दिया है और मुझे पद पर बने रहने को कहा है। लोकपाल ने इस मामले में सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तारीख तय की है।” रजत शर्मा ने जहां अपने पत्र में कहा कि वह तत्काल अध्यक्ष पद संभाल रहे हैं वहीं सर्वोच्च परिषद परिषद के आठ सदस्यों ने उलटे रजत को पत्र लिखकर कहा है कि वह अध्यक्ष पद नहीं संभाल सकते हैं। रजत को भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राकेश बंसल, राजन मनचंदा, आलोक मित्तल, अपूर्व जैन, संजय भारद्वाज, नितिन गुप्ता, रेनू खन्ना और एसएन शर्मा शामिल हैं।


इन सदस्यों ने रजत को लिखे अपने पत्र में कहा, “सर्वोच्च परिषद परिषद के सदस्यों का मानना है कि आप दोबारा अध्यक्ष पद नहीं संभाल सकते हैं जैसा कि आपने अपने पत्र में कहा है।” इस बीच डीडीसीए ने मंगलवार शाम को डीडीसीए में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है जिसे सलाहकार परिषद के सदस्य रविंदर मनचंदा और सर्वोच्च परिषद परिषद तथा डीडीसीए के अधिकतर सदस्य सम्बोधित करेंगे।'' इससे पहले रजत शर्मा ने कहा,“लोकपाल के निदेर्शों के तहत मैंने तत्काल प्रभाव से डीडीसीए के अध्यक्ष का प्रभार संभाल लिया है और मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि आप डीडीसीए को ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से चलाने में मेरा सहयोग करें। ताजा घटनाक्रमों के मद्देनजर मेरी सहमति के बिना सर्वोच्च परिषद की बैठक नहीं बुलाई जा सकेगी। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप न तो सर्वोच्च परिषद की बैठक बुलाएं और न ही ऐसी किसी बैठक में हिस्सा लें जिसे मेरी सहमति न हो।” उन्होंने साथ ही कहा,“मुझे पता चला है कि सर्वोच्च परिषद की बैठक के लिए एक नोटिस कुछ चुनिंदा सदस्यों को भेजा गया है कि यह बैठक 19 नवंबर को शाम साढ़े सात बजे आयोजित हो रही है जिसमें कुछ मुद्दों पर बात होनी है। लोकपाल के नये आदेश के तहत ऐसी किसी बैठक को बुलाने का कोई औचित्य नहीं है। मैं तदानुसार निदेर्श देता हूं कि सर्वोच्च परिषद की ऐसी कोई भी बैठक रद्द समझी जाए।”