बीहड़ में फिर तड़क रही बंदूकें...लेकिन कॅरिअर के लिए 

- बेटियों ने राइफल और पिस्टल शूटिंग प्रतियोगिता में मेडल जीते 



भी डकैतों से खौफ खाने वाले चंबल इलाके का नजारा अब बदल गया है। बंदूकें उठी तो हैं, लेकिन यह इलाके को बदनाम नहीं बल्कि इलाके नाम ऊंचा कर रही हैं। नई दुनिया अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक भिंड के उत्कृष्ट विद्यालय की 21 लड़कियों ने राज्य स्तरीय रायफल और पिस्टल शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और पदक जीते। 


कोच ने दिखाया रास्ता..
कुछ साल पहले तक यहां ऐसा नजारा नहीं था, लोक-लाज और खौफ के बीच आर्मी में नॉन कमीशंड अफसर रहे भूपेंद कुशवाह ने बेटियों के बीच यह उम्मीद जगाई कि शूटिंग में कॅरिअर बनाया जा सकता है। नई दुनिया के मुताबिक एक साल पहले कोच भूपेंद्र कुशवाह ने छात्राओं को बंदूक के जरिए खेल कॅरिअर के बारे में जानकारी दी, इसके साथ की इसमें भविष्य के कॅरिअर का जिक्र करते यह भी छात्राओं को बताया कि बेटियां शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतकर वह चंबल की धरती और देश का नाम रोशन कर सकती हैं। 


तीनों वर्गों में छा गई छोरियां
हाल में हुई राज्य स्तरीय राइफल और पिस्टल शूटिंग की अंडर -14, अंडर -17 और अंडर -19 में भाग लेते हुए छात्राओं ने तीनों वर्गों के मुकाबले में दमदार प्रदर्शन किया। 


बेटियों की वजह से बना शूटिंग क्लब
निशानेबाजी मेंं बढ़ते लगाव को देखते हुए भिंड के उत्कृष्ट स्कूल क्रमांक-1 में शूटिंग क्लब की स्थापना कर ली गई है, जिसके जरिए न सिर्फ लड़कियों को बल्कि लड़कों को भी यहां ट्रेनिंग दी जा रही है। इंडिविजुअल गेम होने की वजह से इस खेल की लोकप्रियता बढ़ रही है, कई और छात्र और छात्राएं इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। 


अब उम्मीद जागी है...
छात्रा स्वाती राजावत कहती हैं, ''कोच ने हमें प्रेरित किया तो पहली बार बंदूक को कॅरिअर के लिए हाथ में उठाया। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पहुंचे तो अब उम्मीद जागी है कि इसके जरिए हम खेल में बेहतर कॅरिअर बना सकते हैं।''