अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में भी बगावत देखने को मिली थी


नई दिल्ली: आप भले ही 'मिलेनियल्स' हों या "80-90 दशक" वाले क्रिकेट प्रेमी, लेकिन सवाल एक ही है. क्या आप वनडे या टी-20 मैचों को सफेद कपड़ों में पारंपरिक टेस्ट मैच की तरह ही लाल गेंद से खेलते हुए देखने की सोच सकते हैं? यदि नहीं तो फिर क्या आपको पता है कि क्रिकेट को ये आधुनिक रूप 43 साल पहले एक ऐसी 'रिबैल' सीरीज से मिला था, जिसे क्रिकेट के सबसे महान कमेंटेटर जॉन आर्लोट ने 'सर्कस' का नाम दिया था. ये थी कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट, जिसका पर्दा आज ही के दिन यानी 9 मई को डेली मेल अखबार ने "टर्नड पायरेट्स" हैडिंग से दुनिया के सामने उठाया था और पूरे विश्व में तहलका मच गया था. क्यों मचा था तहलका, यदि जानना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं.


फुटबॉल मैदान में फ्लड लाइटों के बीच पहली बार क्रिकेट--आस्ट्रेलिया के मीडिया टायकून कैरी पैकर ने अपनी वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट जब चालू की थी तो उन्होंने इसे रोचक बनाने के लिए रात के समय दूधिया रोशनी में कराने का निर्णय लिया, लेकिन समस्या थी क्रिकेट स्टेडियमों में फ्लड लाइट नहीं होने की. ऐसे में पैकर ने फुटबॉल स्टेडियमों को किराये पर लिया और उनमें सिंथेटिक पिच बिछाकर मैच कराए. ये पहली बार था जब क्रिकेटर रात को कृत्रिम रोशनी में क्रिकेट खेल रहे थे. पैकर ने रात को मैच कराने के हिसाब से गेंद को भी लाल से सफेद कराया और क्रिकेटरों की सफेद ड्रेस को रंगीन करा दिया.


दुनिया के तत्कालीन सारे महान क्रिकेटर बना दिए थे 'विद्रोही'--जरा सोचिए महान बल्लेबाज विव रिचर्डस, महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली, महान कप्तान क्लाइव लायड आदि जैसे क्रिकेटर यदि अपना करियर बीच में ही छोड़ देते तो कैसा होता? कैरी पैकर ने इंग्लैंड के महान कप्तान टोनी ग्रेग (जो बाद में महान कमेंटेटर भी रहे) को अपने साथ जोड़ा और उन्हें विश्व के दिग्गज क्रिकेटरों को लाने की जिम्मेदारी दी. ग्रेग ने पैकर के लिए 1977 में उस समय विश्व क्रिकेट में खेल रहे लगभग सभी महान क्रिकेटरों को अपने-अपने देश के खिलाफ 'विद्रोही' बना दिया. इन सभी को अपनी वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के लिए मोटी रकम देकर कॉन्ट्रेक्ट में ले लिया गया था और उन पर अपने-अपने देश के लिए खेलने का प्रतिबंध लगा दिया गया था.


आस्ट्रेलिया क्रिकेट और पैकर के झगड़े ने कराई थी शुरुआत--दरअसल इस वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट की शुरुआत कैरी पैकर और आस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के बीच झगड़े ने कराई थी. पैकर आस्ट्रेलिया के सबसे बड़े टीवी चैनल 'चैनल-9' के मालिक थे. वे आस्ट्रेलियाई बोर्ड से टेस्ट मैचों के लाइव टेलिकास्ट को दिखाने का अधिकार मांग रहे थे, लेकिन बोर्ड ने उन्हें इंकार कर दिया था. इससे नाराज होकर ही पैकर ने अपनी अलग क्रिकेट चालू करने की योजना बना ली थी.


17 मैच बाद ही मान गए थे दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड--पैकर की डेनाइट क्रिकेट को दर्शकों ने इतना पसंद किया था कि फुटबाल स्टेडियमों के बाहर टिकटों के लिए मीलों लंबी लाइन लग जाती थी और टीवी पर ये उस समय का सबसे ज्यादा रेटिंग वाला आयोजन बन गया था. इसकी वजह से सभी देशों के क्रिकेट बोर्ड चिंतित हो गए थे और उन्होंने आस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड पर दबाव बनाकर पैकर को टेस्ट मैच दिखाने के अधिकार देने के लिए मना लिया था. उस समय तक वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के महज 17 ही मैच खेले गए थे.पैकर ने अपनी मांग पूरी होने के बाद इस सीरीज को बंद करते हुए सभी क्रिकेटरों को कांट्रेक्ट से आजाद कर दिया था. भले ही यह सीरीज 17 मैच के बाद ही खत्म हो गई थी, लेकिन इसने सभी देशों को डे-नाइट मैचों की अहमियत सिखा दी. इसके बाद ही आस्ट्रेलिया ने अपने यहां हर साल दूधिया रोशनी में 3 देशों के बीच खेली जाने वाली त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज चालू की थी. ज़ी न्यूज़ से साभार